आदमी हर आदमी में रहता हैं
आदमी हर आदमी में रहता हैं
तेरे चेहरे पे जो मुस्कान है,
सच जान ये तेरा जहान है!
विपत्ति का वर्फ जो गल जाता है
सुख का सौंदर्य खूब भाता है!
आदमी अपने आफत का मारा है,
कहां मुनासिब कोई किसी का सहारा है!
औरों का जो भला करता है,
वही आदमी हर आदमी में रहता है!