चले आना तुम
चले आना तुम
अँधेरों में जो दिखे बेइन्तेहा रोशनी कहीं,
समझ लेना इश्क़ की वादियाँ हैं वहीं,
चुपचाप उस ओर चले आना तुम,
इश्क़ की वादियों में,
चले आना तुम
रूह मेरी जब जिस्म से जुदा हो जायेगी,
मेरी परछाईं भी नही कहीं नज़र आयेगी,
आवाज़ देना मुझे,
मैं तुम्हें मिलने आ जाऊँगी,
मेरी ख़्वाहिशों की वो नीली वादियाँ,
जलते-बुझते जुगनू होंगे वहाँ बेशुमार,
थाम कर हौले से रोशनी का हाथ,
चले आना तुम,
पुकारना मुझे,
देना मुझे हौले से ,एक आवाज़
तोड़ कर सारे कफ़स,
मैं चली आऊँगी,
हाँ,मैं चली आऊँगी।

