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Madhu Gupta "अपराजिता"

Classics

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Madhu Gupta "अपराजिता"

Classics

चिनार के पेड़

चिनार के पेड़

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अहम हिस्सा मैं रखता हूं

कश्मीर की हसीन वादियों में

अधूरे से लगे हर रंग मेरे बिन 

 कश्मीर के हर खूबसूरत नज़ारों के....!!


मैं हूं उसमें ऐसे रचा बसा

कि जैसे आत्मा हूं मैं कश्मीर की

बीतता है जब वहां पतझड़

मेरे पत्तों से जमीं वहां की रंग जाता हूँ....!! 


बर्फ की वादियां और मैं

चार चांद मिलकर कश्मीर में लगाते हैं

मौसम के मिजाज से

हम अपना रंग बदलते हैं....!! 


गर्मियों में हरे गहरे रंग के तो

पतझड़ में लाल और फिर पीले 

गहरे रंग में हम बदल जाते हैं

हर तरफ़ बिखर कर वादियों का हुस्न बढ़ाते हैं...!! 


शहर से लेकर घाटी तक

राज हमारा रहता है

शान है हम मुगल गार्डन की

हर टूरिस्ट का मन मोह लेते हैं....!! 


हुई उत्पत्ति हमारी ग्रीस में 

हर जगह यह माना जाता है

आया पर्शिया से मैं भारत

पेड़ में चिनार का कहलाता हूं....!


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