छोटी छोटी बातें
छोटी छोटी बातें
छोटी छोटी बातों पर
नाहक ख़फ़ा मत हुआ कर यार मेरे
अक्सर ऐसा होता है इस रिश्ते में
तूने कैसे सोच लिया कि
रूठे को मनाने का हुनर अगर तुझे आता नहीं
छोड़कर तुझे कहीं दूर चली जाऊंगी
ऐसा ख़्याल भी अगर तुझे आए
तो तू आज़ाद है मेरे बंधनों से
अगर तू समझता है ये गुनाह है
तो तेरे ऐसे हज़ार गुनाह माफ़ हैं
मगर वादा कर कि कभी रूठ जाऊँ
तो जुदा होने की बात फिर मत करना
तू जैसा भी है वैसा ही अच्छा है
ख़ुद को बदलने का ख़्याल कभी न आए
तेरा हर रंग, तेरा हर रूप
अब इस दिल की अमानत हैं।