नारी प्रेम जिस्म का सौदा नहीं
नारी प्रेम जिस्म का सौदा नहीं
यह जो दुनिया है ना !
मर्द और औरत से बनी है
इसे बनाने में जितना योगदान मर्द का है
शायद उससे ज्यादा औरत का है
फिर ऐसा क्या हुआ कि दुनिया पर हमेशा से
मर्द का ही वर्चस्व रहा है
और नारी को आज भी अबला नारी कहा जाता है
जिन मर्दों को यह लगता है कि
औरत को रुलाने से, तड़पाने से और तरसाने से
उनके लिए मोहब्बत और बढ़ जाएगी
तो यह उनकी बहुत बड़ी गलतफहमी है
और जब औरत आंसू बहाती है तो
धीरे-धीरे उसके नैनों से झड़ते आंसुओं में
मर्द की मोहब्बत भी बह जाती है
और जिस दिन सब्र का बांध टूट गया तो समझो
आंसुओं का प्रवाह भी खत्म और
मर्दानगी के साथ मर्द की मोहब्बत भी खत्म
औरत कोई भोग विलास की वस्तु तो नहीं कि
अपनी वासना मिटाने के लिए उसका भोग किया
और तृप्ति होते ही उसे दरकिनार कर दिया
मर्द को समझना होगा कि नारी की
हृदय की आवाज निष्कपट और निश्छल होती है
कहीं ऐसा ना हो कि औरत की आंखों से
निकली करुणा के सैलाब में
मर्द की दुनिया ही ना बह जाए
जो सच्चा प्रेम होता है ना
वह जिस्म का सौदा कभी हो ही नहीं सकता
और जहां जिस्म का सौदा होता है
वहां सच्चे प्रेम के लिए कोई जगह ही नहीं बचती
प्रेम अंतर्मन को छूने की कला है
प्रेम कोमल एहसास है
प्रेम निःस्वार्थ है
प्रेम सुखद आनन्द की अद्भुत अनुभूति है
प्रेम अनंत है, जिसका मतलब है किसी का होकर
उसके अंतर्मन में सदा सदा के लिए खो जाना
जिस मर्द को औरत से सच्चा प्रेम होगा
वह हमेशा शर्त रहित रहेगा
क्योंकि सच्चे प्रेम की पहली और आखिरी शर्त
यही है कि यह हमेशा शर्त रहित होता है
नारी शक्ति को कभी हल्के में मत लो
क्योंकि इसका प्रेम ऊर्जा, उत्साह
और जीवंत का अनूठा प्रतीक है।