चेहरा
चेहरा
तुम्हारा मासूम चेहरा !
हाँ ! जी ! तुम्हारा मासूम चेहरा ही
सबकुछ बयां कर देता है कि
कितनी प्यारी, नटखट हो आप !
बिल्कुल भोली सूरत, ममता की मूरत !
जमाने से विश्वास जब टूटा,
जाकर तुझपे ही रूका तुझसे ही दिल जुटा !
लेकिन फिर भी तेरे चेहरे को मैंने पढ़ न पाया !
क्या थी तुम क्या समझे हम !
ये न तुमने न मैंने ही जान पाया !
दिल तो लगा लिया तुझसे मगर
अंजाम भुगतना अभी बाकी था !
मेरे टूटे -फूटे आशियां में तुझे
रूकना कहाँ जज्बाती था !
काश रहने देती तू अपनी झूठी वादें !
नापाक इरादें ! ख्याली जज्बातें !
झूठमूठ का झुकाव। मेरी कीमत बाजार में
शायद कम थी वरना मैं थोड़े ही मोल भाव
होने पर भी यूं ही पड़ा रहता !
परेशान रहता !
किसी की सितम सहता !

