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Brijlala Rohanअन्वेषी

Romance Classics Inspirational

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Romance Classics Inspirational

चेहरा

चेहरा

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तुम्हारा मासूम चेहरा !

हाँ ! जी ! तुम्हारा मासूम चेहरा ही

सबकुछ बयां कर देता है कि

कितनी प्यारी, नटखट हो आप ! 

बिल्कुल भोली सूरत, ममता की मूरत !


 जमाने से विश्वास जब टूटा,

जाकर तुझपे ही रूका तुझसे ही दिल जुटा !

लेकिन फिर भी तेरे चेहरे को मैंने पढ़ न पाया !

क्या थी तुम क्या समझे हम !

ये न तुमने न मैंने ही जान पाया !


दिल तो लगा लिया तुझसे मगर

अंजाम भुगतना अभी बाकी था !

 मेरे टूटे -फूटे आशियां में तुझे

रूकना कहाँ जज्बाती था !


काश रहने देती तू अपनी झूठी वादें !

नापाक इरादें ! ख्याली जज्बातें !

झूठमूठ का झुकाव। मेरी कीमत बाजार में

शायद कम थी वरना मैं थोड़े ही मोल भाव

होने पर भी यूं ही पड़ा रहता !


परेशान रहता !

किसी की सितम सहता !


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