चाय और रिश्ते
चाय और रिश्ते
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ये चाय भी क्या कमाल होती है !
एक सूत्रधार की भाँति
सभी रिश्तों को
आपस में पिरोती है
रूठों को मनाने का
बिछ्डों को मिलाने का
ज़रिया ये आम होती है
गली नुक्कड़ पर
खबरों पर चर्चा करते
लोगों की जान होती है
यही नहीं दो दिलों को जोड़ने का
खूबसूरत पैगाम होती है
आम आदमी की मेहमान नवाजी की
ये आन-बान शान होती है
कभी अकेलेपन की साथी बन
सारी थकान हर लेती है
ये चाय भी क्या कमाल होती है !