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चाँद-तारे

चाँद-तारे

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चाँद-तारे दीयें है खुदा के घर के

आसमाँ ताक है

रात तेल भरने वाली है

जश्न-ए-हयात में हम

निकले है रोशनी देखने

इक दुकान से उम्र ली

दूसरी से महबूब

तीसरी से गालियां

चौथी से दुआएं

अदब के पर्चे

कोई फोकट में

बांट रहा है देखो

घर दो कदम दूर है

और सुबह होने वाली है

मेरी साँसे भर रही है

और आँखे खुल रही है

हाय! खत्म हुआ तमाशा अब

ये दुनिया मरने वाली है


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