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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

चाहते हैं हम मिलें सब अधिकार

चाहते हैं हम मिलें सब अधिकार

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चाहते हैं हम , मिलें सब अधिकार,

और पाएं हम , सब का ही प्यार।

होती चाह आजादी की,

हर एक इंसान की।

भूख संग-संग होती है,

मान- सम्मान की।


मन में विचारें हम ये,

क्यों हैं इस धरा पे आए?

सब को लुटा दें खुशियां,

हर पल ही मुस्कुराएं।

याद रखें हम,

चाहे न कोई ही ग़म,

चाह होती है सम्मान की।


हर एक इंसान की।

होती चाह आजादी की,

हर एक इंसान की।

भूख संग-संग होती है,

मान- सम्मान की।


ताकत लगा के पूरी,

शक्तियां खूब अर्जित करें हम, परहित करें इन्हीं से,

मिट जाएं सब के ही गम।

हम डट जाएंगे,

हम मिट जाएंगे,

बात आए जो

सम्मान की।


हर एक इंसान की।

होती चाह आजादी की,

हर एक इंसान की।

भूख संग-संग होती है,

मान- सम्मान की।


तज स्वार्थ भावना को,

याद कल्याण जग का रखेंगे।

तन - मन सौंपने को,

राष्ट्र हित में ही तत्पर रहेंगे।

हर पल इच्छा करें

सदा रक्षा करें,

लगा बाजी भी निज जान की।


हर एक इंसान की।

होती चाह आजादी की,

हर एक इंसान की।

भूख संग-संग होती है,

मान- सम्मान की।


चाहते हैं हम , मिलें सब अधिकार,

और पाएं हम , सब का ही प्यार।

होती चाह आजादी की,

हर एक इंसान की।

भूख संग-संग होती है,

मान- सम्मान की।


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