चाहत की बात
चाहत की बात
अनदेखे पहलुओं पर
ग़ौर करना ज़रूरी है
आपसे चाहत की बात
हर कोई करता है
आपकी चाहत की बात
कोई नहीं करता
आपकी आँखों की बात
हर कोई करता है
उनके दर्द की बात
कोई नहीं करता
आपके होठों की बात
हर कोई करता है
उन पर खिली उदासी की बात
कोई नहीं करता
आपकी मुस्कुराहट तो जग ज़ाहिर है
उसके पीछे छिपे ग़म का फ़साना
कोई नहीं जानता
और न कोई उसकी बात ही करता है
आपके चेहरे का सुर्ख नूर
सबको दिखाई देता है
उसमे लिपटी बेनूर ज़िन्दगी
किसी को नहीं दिखती
और न कोई इसकी
बात ही करता है
आप को चमकता चाँद
कहने वाले लाखो है
कोई टिमटिमाता सितारा भी
लेन की बात कोई नहीं करता
ये बड़े अज़ीब और आजिज़
आ चुके लोग खुद से
बेज़ार हो रहे है
शायद इसी वज़ह से
गुनहगार हो रहे हैं
दिल की बात तो
हर कोई करता है
मगर दिलदारी की बात
कोई नहीं करता
जाने अनजाने कितने नश्तर
चलाते है ये हमारे अज़ीज़ चाहने वाले
मगर कोई एक हाथ नहीं
हमारे अश्क़ों को पोछने वाला
उन अश्क़ों को शबनमी कहने वाले
बहुत से शायर है कवि है
उनकी नमी कोई समझने वाला
कोई एक दिल नहीं मिलता
यहाँ किसका ऐतबार करे न करे
इसी में उम्र ढल रही है
और यहाँ खुद पर अख़्तियार की बाते
हर कोई करता है
मगर खुद पर ऐतबार की बात
यहाँ कोई नहीं करता
यहाँ सबके दिल पत्थर
और सबका खुदा पैसा है
हम किसको कहे कौन कैसा है
यहाँ घर घर का हल ऐसा है
मिलने वाले भी जेब टटोल लेते है
काश ! कोई मिलता जो
दिल को भी टटोलता
मुँह देखी तो सभी हांकते हैं
कोई दिल की ज़बान भी बोलता
लोग तो अपने ही है
जो नशेमन पर बिजली गिराते है
और पूछते है क्या हुआ ?
इतना भद्दा और खोखला मज़ाक
कोई करता है भला अपना होकर
अच्छा रहा जो मेरा सपना
बस रह गया एक सपना होकर
सुना था तुझमे रब दीखता है
ऐ दोस्त जादू की झप्पी वाले
मगर तुमने भी हमको
कर दिया मतलब के हवाले
ऐ खुदा! उनका तू ही हाफ़िज़ है
जिन्होंने कर दिया मुझे
अब फिर एक बार
मेरे मालिक! तेरे हवाले
तू ही मेरा अब्र है
और तू ही मेरा सब्र है
जो कुछ मेरे पास मेरा
उस सबमे शुमार तेरा है
नहीं जानता तेरा शुक्राना
किस तरह कर सकता हूँ
बस इतना ही कह सकता हूँ
तेरे लिए मैं खुद को
तेरे निगेहबानी के हवाले कर सकता हूँ
तेरा राज़ी पर रज़ा मेरी है
अब आगे तू जाने
मालिक ! अब क्या मर्ज़ी तेरी है…….।

