STORYMIRROR

स्वतंत्र लेखनी

Romance Fantasy Thriller

4  

स्वतंत्र लेखनी

Romance Fantasy Thriller

बूँदों से मुलाकात

बूँदों से मुलाकात

1 min
342

आज बारिश से मिली,

हल्की बूँदें कुछ इस तरह से

मेरे चेहरे को छूती गईं,

जैसे उन्हें मिल सा गया कोई अपना।

बूँदें बस बूँदें नही थीं,


शायद वो थीं आसमान का दुःख समेटे।

वो दुःख जो नभ कभी जता नही पाया शायद,

जैसे कभी मैं निशब्द रह जाती हूँ,

अपने दुखों को समझाने में।


मुझे बूँदें अपनी लगीं,

और बूँदों को मैं,

दोनों डूबते गए एक दूसरे में,

दुखों के बादल की बात किए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance