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स्वतंत्र लेखनी

Abstract Thriller

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स्वतंत्र लेखनी

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मुझे इश्क़ है हिंदुस्तान से

मुझे इश्क़ है हिंदुस्तान से

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दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त,

मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी ।

- लाल चन्द फ़लक


इंसानी फितरत है इश्क़ करना। अब चाहे वो इश्क़ किसी ख़ास से हो या फिर अपने वतन से। इस जीस्त में एक बार किसी इंसान से इश्क नही भी हो सकता है लेकिन वतन से मोहब्बत ना होना नामुमकिन है।

बात अगर मोहब्बत ए वतन की की जाए तो तो हिंदुस्तान से इश्क़ लाज़मी है। भारत, इंडिया, आर्यावर्त, जम्बूद्वीप ना जाने कितने ही नाम मिले हैं हमारे हिंदुस्तान को। यह सिर्फ़ एक कौम ही ही नही बल्कि एक एहसास है। हाँ, हिंदुस्तान प्यार का एक नगमा है, एक गीत है, नज़्म है जिसे जितनी खूबसूरती से लिखा गया है उतनी ही खूबसूरती से गाया भी जाता है। इसकी ज़मीं से जो सोंधी सी खुशबू आती है वो रूह को एक सुकून देती है। यह वही देश है जो सबसे ज्यादा लड़ा, शायद सबसे ज्यादा घायल हुआ लेकिन इसने न कभी रुकने का नाम लिया और ना ही कभी झुकने का। कभी हम हिंदुस्तान की लड़ाई और कभी हिंदुस्तान हमारे लिए। और जो यह मोहब्बत का सिलसिला शुरू हुआ है वो यहीं से शुरू हुआ।

चक्रबस्त बृज नारायण जी ने वतन-परस्ती पर क्या खूब लिखा है -


"ये हिन्दोस्ताँ है हमारा वतन,

मोहब्बत की आँखों का तारा वतन, 

हमारा वतन दिल से प्यारा वतन,

वो इस के दरख़्तों के तय्यारियाँ, 

वो फल फूल पौदे वो फुल-वारियाँ, 

हमारा वतन दिल से प्यारा वतन।"


मुझे मोहब्बत का सही मतलब पता हो ना हो लेकिन हिंदुस्तान मेरी मोहब्बत है ये पता है। मोहब्बत में लोग जां लुटा देते हैं, अपने चाहने वाले के लिए मर मिट जाते हैं। हाँ, कुछ ऐसी ही मोहब्बत और शायद यही मोहब्बत मुझे हिंदुस्तान से है। हिंदुस्तान से मेरा इश्क मेरी लिखी ये दो पंक्तियाँ ही बता देंगी -

"मैं क्या कुछ न कर गुजारूँ इस देश के लिए,

मैं चाहूँ तो मर जाऊँ और चाहूँ तो मार भी दूँ।"


देश से प्यार करने का सीधा सा मतलब केवल देश की तारीफ के पुल बाँधना ही नही होता। हमें महसूस करना होता है कि देश क्या है? और हिंदुस्तान बात करने की नही बल्कि महसूस करने की चीज़ है। मैंने हर दफा इंतज़ार किया हिंदुस्तान को मनाने का। मनाती हूँ इसे हर बार, है साल क्योंकि हिंदुस्तान इस इज्ज़त के काबिल है। हमारा हिन्दुस्तान हमेशा से असद रहा है और रहेगा। गौर फरमाएँ तो...

"कमज़ोरी थी उनकी जो इसे गीदड़ समझ बैठे,

हिंदुस्तान तो कराहने के दिन में भी दहाड़ता था।"


ये बहती नदियाँ, ये गुलाबी फिजाएँ, ये इस मिट्टी की सोंधी सी खुशबू मुझे हमेशा इसके मोहब्बत में चूर करती है। देश को बढ़ते देखना, खुद को बढ़ते देखना है। हिंदुस्तान में अपनापन है, हिंदुस्तान में सादगी है, हिंदुस्तान में दिलकशी है और हिंदुस्तान में ताज़गी है। एक तहजीब है हिंदुस्तान में जो दुनिया के किसी भी देश में देखने को नही मिलती। यहाँ चार धर्म एक साथ मिलकर रहते हैं, कभी थोड़ा लड़ते लेकिन हर बार उससे ज्यादा मोहब्बत और भाईचारा निभाते। मैंने देखा है अक्सर कि एक सफेद टोपी वाला केसरिया गमछे वाले का जिगरी यार होता है, मैंने देखा है कि कैसे एक अल्लाह का बंदा माँ दुर्गा की मूरत बनाता है, मैंने देखा है कई जनेऊ वालों को कि कैसे वो मेहनत करते हैं चिश्ती की दरगाह के लिए एक सुंदर चादर बनाने को, मैंने देखा है कि कैसे एक रोज़ी राधा बनकर मदरसा जाने को बेकरार रहती है। यही तो है मेरा हिंदुस्तान जो चार बिल्कुल अलग लोगों को जोड़े रखता है। तभी तो मुझे ये इश्क है और बेहद है अपने हिंदुस्तान से।

हिंदुस्तान अपने आप में एक जादू है, एक ऐसा जादू जिससे आप बाहर निकल नही पायेंगे। मैं भी पागल हूँ इसके इश़्क में और शायद मरते दम तक इससे बाहर नही आना चाहती हूँ।


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