संस्कृति बचाती हुई लड़कियाँ
संस्कृति बचाती हुई लड़कियाँ
मुझे संस्कृति बचाती हुई लड़कियाँ भाती हैं,
कितना फबती हैं वो खेतों में और,
शहरों में भी अपनी परम्परा बचाती हैं,
भोलापन है उनकी पहचान,
लेकिन गलत पर वो चुप ना रह पाती हैं,
हाँ, मुझे ऐसी लड़कियाँ ही भाती हैं।
लहज़ा होता सरल और मीठा,
विचारों में खुलापन वो ले आती हैं,
तन ढका होता उनका लज्जा से,
चुन्नी से वो सर को छुपाती हैं।
होती नहीं वो आधुनिकता के खिलाफ,
बस अपने एक हाथ में संस्कृति साथ ले आती हैं,
मोटर चलाना सीखें ना सीखें पर घर चलाना सीख जाती हैं,
मुझे बस ऐसी लड़कियाँ ही भाती हैं।
चाहे वो परिधान हो,
या हो परम्परा का निर्वहन,
दोनों में ही अव्वल वो आती हैं,
अंग्रेज़ी तो सीख लेती हैं पर,
हर कदम पर हिंदी की शान बढ़ाती हैं,
हाँ पसंद है मुझे ऐसी पारम्परिक लड़कियाँ,
और यही संस्कृति बचाती हुई लड़कियाँ मुझे भाती हैं।
