बूंदों की दस्तक।
बूंदों की दस्तक।
ये जो मौसम ने ली है करवट।
ये जो मौसम ने ली है करवट
आने वाली है ठंड की सरसराहट
इन काली घटाओ के साथ आई है बरखा
बरस रही हैं बूंदें दे रही है दस्तक
धरती कर रही है श्रृंगार
धरती की तपन और प्यास के साथ
समाप्त होगा चारों ओर का हाहाकार
फूलों की खुशबू से खिल उठेगा
धरती का रोम-रोम
त्योहारों का होगा मौसम चारों ओर
यह जो मौसम ने ली है करवट
आने वाली है ठंड की सरसराहट
संध्या से सुबह तक धरती सोएगी
ओस की चादर ओढ़ कर
ये ओस की बूंदें दे रही है दस्तक
कह रही हैं अब मैं रहूंगी देर तक
दिन होंगे छोटे और रातें बड़ी
कर लो तैयारी मैं हूं दरवाजे पर खड़ी
यह जो मौसम ने ली है करवट
आने वाली है ठंड की सरसराहट
पहली ठंड तो मीठी होती है
ये त्योहारों के साथ जो जुड़ी होती है
मां का आगमन और गमन
दशहरा, दीवाली, छठ पूजा के
त्योहारों से जुड़ जाता है मन
यह त्योहार जन-जन में
उल्लास उत्साह का करते हैं संचार
और ठंड की सरसराहट का करते हैं स्वागत
यह जो मौसम ने ली है करवट
आने वाली है ठंड की सरसराहट
