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Ruby Mandal

Tragedy Inspirational Others

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Ruby Mandal

Tragedy Inspirational Others

आधुनिकता का चश्मा।

आधुनिकता का चश्मा।

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ये कैसा समय आया है ना?
हम सामने बैठे, अपनों से दूर हों गए,
आधुनिकता का चश्मा लगाकर,
हम कितने मजबूर हो गए।

अपने तरस रहे हैं अपनत्व के लिए,
और लोग दूसरे के होने की लत में,
चूर हो गए,
आखिर,हम कितने मजबूर हों गए।

जो कभी दूर होने पर भी,
हमें अपने दिल के करीब चाहतें थे।
आज वो लोगों की लत में,
खुद को आधुनिक दिखाने के लिए,
सुन्दरता के गुरूर से चूर हो गए।

ये कैसा समय आया है ना?
हम कितने मजबूर हो गए,


कमियों की खदान बनकर हम 
उनकी ही आंखों से खुद ब ख़ुद दूर हो गए।
उन्हें दिखाई देने लगी है हर किसी में दुनिया,
और उनकी दुनिया बनकर भी,
हम पास होकर भी दूर हो गए।

ये कैसा समय आया है ना?
हम सामने बैठे, अपनों से दूर हों गए,
आधुनिकता का चश्मा लगाकर,
हम कितने मजबूर हो गए।



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