बुढ़ापा
बुढ़ापा
दर्पण को निहारा तो चेहरों की झुर्रियां दिखने लगी !
लाख कोशिशें करके हम थक गए
पर गालों के गड्ढे को हम भर ना सके !
बालों को तो रंगीन बनाने के नुस्खे अनेक हैं !
दिल चाहे तो नए- नए रंगों में रंग जाए !
दांत की कोई बात नहीं डेनचर सुडौल बना देगा !
प्रेम के गीत को गा गा के सुनाएंगे प्रीतम को !
पान की गील्लोरियाँ चबाएंगे दिन भर !
यह सब तो दिखाने की बातें हैं !
पर अंदर की बात छुपाएंगे कैसे ?
हड्डियाँ जो कड़कड़ा रही हैं !
उठना -बैठना और चलना सब दूभर हो चला !
यह राज भला कोई कैसे जाने ?
हम लाख छुपा लें पर उम्र छुपती नहीं है !
समय के साथ -साथ हमारी छाया रहती नहीं है !!