चांद
चांद
आज चाँद से गुजारिश है
जरा देर से निकलना
बादलों से सिफारिश हैं
जरा आज थम जाना
सर्द हवाओं से कहा है
जरा धीमे चलने को
फूलों से खूब मिन्नतें की हैं मैंने
जरा और तेज महकने को
रात को मैंने कह दिया है
जरा हौले-हौले ढलने को
आज दोस्ती को
इश्क में बदलने चलीं हूँ मैं
सालों से लगातार दोस्त बने हैं
अब दिल का मुकम्मल रिश्ता करने चली हूँ मैं
आज दिल की दबी सारी बात
उसको तमाम रात बैठकर कहनेवाली हूँ मैं
आज चाँद सितारों की महफ़िल में
बादलों की चादर तले इश्क इजहार करने वाली हूँ मैं।