STORYMIRROR

Rashminder Dilawari

Abstract Comedy

4  

Rashminder Dilawari

Abstract Comedy

मां की पुकार

मां की पुकार

1 min
272

नींद की आगोश में 

सपने पिरो रहा

जगा के हम को रात भर 

अब चैन से सो रहा


 एक बात की बेटा तेरे को

 देना चाहती हूं मैं दात

 सोता रहता है तू दिन भर

 और जागता सारी रात


 कैसा है यह आलम 

जिस में तू खो रहा

जगा के हम को रात भर

अब चैन से सो रहा


 दिन भर करती काम मैं

 रात में थक जाती हूं

 जब भी तू रोता मेरे मुन्ने

 तुझको चुप कराती हूं 


 दूध पीने के बाद भी 

हाय कितना तू रो रहा

जगा के हम को रात भर

अब चैन से सो रहा


 उठ जा मुन्ने खेल ले 

 मैं देख रही तेरी राह

 सो जाइए तू रात को

 कर ले थोड़ी परवाह


 फिर भी तू सोता हुआ

 है सबका मन मोह रहा

जगा के हम को रात भर

अब चैन से सो रहा


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract