मां की पुकार
मां की पुकार
नींद की आगोश में
सपने पिरो रहा
जगा के हम को रात भर
अब चैन से सो रहा
एक बात की बेटा तेरे को
देना चाहती हूं मैं दात
सोता रहता है तू दिन भर
और जागता सारी रात
कैसा है यह आलम
जिस में तू खो रहा
जगा के हम को रात भर
अब चैन से सो रहा
दिन भर करती काम मैं
रात में थक जाती हूं
जब भी तू रोता मेरे मुन्ने
तुझको चुप कराती हूं
दूध पीने के बाद भी
हाय कितना तू रो रहा
जगा के हम को रात भर
अब चैन से सो रहा
उठ जा मुन्ने खेल ले
मैं देख रही तेरी राह
सो जाइए तू रात को
कर ले थोड़ी परवाह
फिर भी तू सोता हुआ
है सबका मन मोह रहा
जगा के हम को रात भर
अब चैन से सो रहा