बुरा ख्वाब
बुरा ख्वाब
काम से थक कर घर लौट आना
और खाना खाकर फ़िर सो जाना
रोज की आदत बन गई थी
जैसे कुछ भी ना पाने की
शरीर की कोई मूरत बन गई थी
आँखों का झपकाना कम हो रहा था
मैं होश मे कम नींद मे ज्यादा हो रहा था
सर्दियो के दिन रजाई मे सोना
सोचते-सोचते फ़िर नींद का आना
एक बुरा ख्वाब मेरी जिंदगी मे आया
मुझे मेरी गली से लेकर मंडी-हाउस ले आया
और फ़िर राह चलते चलते
किसी की तलाश मे निकलते निकलते
मैंने अपने आपको
कड़कड़डूमा की सड़को पर पाया ।
जहां मुझे मेरी पसंदीदा
लड़की दिखाई दी
उसके साथ उसकी एक दोस्त थी
मुस्कुराहटो की जैसे मौज थी
मैं खुश था कि कोई है
जो मुझे चाहती थी
कोई है जो मेरा इन्तजार कर सकती थी
मेरी नजर से वह कहाँ जा सकती थी
शायद ही कोई दरार बनती
जो मुझे भुला सकती थी ।
इससे पहले के वो चली जाती
मैं उसे चूम लेना चाहता था
दिल की हर बात
हर जज्बात बता देना चाहता था
उसके माँ-बाप दस्तक दे चुके थे
मेरे घरवाले आ चुके थे
हम तीनो को पकड़ लिया गया
और बे-दर्द सवाल पूछा गया
मैं सबको बता देना चाहता था
मैं उसे दिल से चाहता था
वो नादान थी कुछ कह ना सकी
आँखों मे उसके आँसू थे वह रो न सकी
उसकी सहेली घर जाने की
भीख मांग रही थी
दुआ और फरियाद कर रही थी
मैं अपने आप को कैदी
महसूस कर रहा था
जैसे कोई जेल मे सजा काट रहा था
कि एक जोरदार चाँटा
उसको कानो पर आकर लगा
और उसके परिचित उसे ले जाने लगा
उसे घसीटते हुए घर ले जा रहे थे
मेरे हिस्से को मुझसे छुड़ा रहे थे
मैं उन्हे रोकना चाह रहा था
रुक जाओ-रुक जाओ
छोड़ दो-छोड़ दो
लेकिन मेरी कोई सुनने वाला ना था
जैसे कोई वीराना था
तभी एक गंदी गाली
उसकी सहेली को सुनाई गई
तू ही है इन सब की जड़
इसी तरह तड़पाई गई
हम तीनो इसी तरह
पिटते-पिटाते घसीटे जा रहे थे
मानो एक तिराहे पर आकर
अलग अलग राह ले जाए जा रहे थे
उसके सपनो को आँखो से
मिटाने के संदेश मुझे दे दिये गए
लेकिन मैं हार नही मान रहा था
घर लाकर मेरे हाथ-पैर बाँध दिये गए
लात-घूंसो से मुझे मारा जाने लगा
उसके बाद मैं शायद बे-होश चुका था
फ़िर ना जाने मुझे ऐसा लगा
कोई मुझे हिला रहा था
जैसे कोई बुला रहा था
कान खुले और न खुले बराबर थे
मेरी आंखें बन्द थी
एक आवाज जो बार बार
मेरे कानो मे घुसने की कोशिश मे थी
उठ जा, उठ जा , उठ जा
और फ़िर वही आवाज
मेरी आँखों की पलको को
उठाने पर मजबूर कर गई
और इन आँखों ने जैसी ही
पलके उठाई एक चेहरा सामने था
जो मेरी बहन जैसा था पर यकीन ना था
कुछ पल मे ही मेरे दिमाग
के नेटवर्क खुल गए और खुद को
बिस्तर पर पाया
और वो मेरी बहन थी जिसने मुझे जगाया
ना जाने
किसने बुना ये जाल था
ऐसा मेरा हाल
जैसे एक बुरा ख्वाब था
हाँ यही एक बुरा ख्वाब था
हाँ हाँ यही एक बुरा ख्वाब था।