बुढापे की सनक
बुढापे की सनक
बूढ़े पर बुढ़ापे में,
कुछ ऐसी लगी सनक।
इस उम्र में क्या -क्या कर बैठा
कर दिया सब कुछ गरक।
कानों -कान होते ही
सब को लग गई खबर।
बस बूढ़े के ही दिमाग को,
न लगी जरा भी भनक।
बूढ़े को बुढापे में,
कुछ ऐसी लगी सनक।
हरकतों से उसकी ,
हो गया घर अस्त -व्यस्त।
अपनों को अपना न समझे
बेगानों को कहे अपना।
अपनों को तो, दे गालियां
बेगानों की भरें प्यार से झोलियां।
सब उसको समझायें,
वो न सुने -सुनाये।
खुद को,
समाज सेवी बतलायें।
घर बाहर अजीब झमेला।
कुछ समझ न आयें।
बुढ़ापे की सनक कसम से,
हाय तौबा करवायें।
बुढ़ापे की सनक कसम से,
हाय तौबा करवायें।