STORYMIRROR

Ahmak Ladki

Romance

4  

Ahmak Ladki

Romance

बताओ ना क्यों

बताओ ना क्यों

1 min
707

मेरे शब्द सींचते हैं 

मेरे दिल की ज़मीन

रूह उतार कर

रख देती हूँ अपनी।

इन शब्दों में 

और जब इनके सहारे

लिखती हूँ तुम्हें

तो मेरा एक-एक शब्द

मोतियों की तरह

पाक होता है।

कांच की तरह

साफ दिखाई देते हो तुम

इन शब्दों में।

मेरी कविताओं के शहर में

रोशनदान की तरह लगे ये शब्द 

प्राणवायु देते हैं मेरी संवेदनाओं को

सीढ़ी बन कर ये शब्द

मेरे प्रेम को वो आयाम देते हैं।

जहाँ उसे कोई

गंदगी छू ना सके

वो ऊँचाई देते हैं 

जहाँ तुम्हारी नज़रों में भी

मेरा प्रेम गिर ना सके।

मगर ना जाने क्यों

तुम तक आते-आते मेरे शब्द

आधे-पौने होने लगते हैं

तुम्हारे कद के आगे 

बौने लगने लगते हैं।

वो दर्जा नहीं पाते 

जिनके हकदार होते हैं

बताओ न क्यों ?


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance