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Habib Manzer

Drama Romance

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Habib Manzer

Drama Romance

बता देते...

बता देते...

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काश ! एक बार सच बता देते

तुम सज़ा भी मेरी सुना देते

जाने क्या सोचता है दिल मेरा

सच को तुम आईना बना लेते


मैं भी हैरान हूँ रुख से अब तेरे

अपनी मजबूरी दिल बता देते

देखकर आज मुझको ऐसा लगा

वजह उसकी ज़रा सुना देते


लिखते रहता हूँ मैं भी चाहत पर

हक़ भी तुम पर कभी जता लेते

क्यों सफर रात का कठिन तेरे

हम भी तन्हाई दिल भुला देते


सच की खातिर मैं जान देता हूँ

झूठ से पर्दा तुम हटा देते

क्यों तेरी फिक्र आज है मुझको

अजनबी कह के फिर बुला लेते


कौन मंज़र को याद करता है

राब्ता मुझसे तुम बढ़ा लेते

अब यकीन भी मुझे नही खुद पर

तुम यकीन खुद का अब दिला देते...!


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