बसंत ऋतु
बसंत ऋतु
मधुमास
बसंत ऋतु
ऋतुओं का राजा
वातावरण रहें तरो ताजा।
न ज्यादा गर्मी
न ज्यादा ही सरदी
सबका मनभावन मौसम
महके हर किसी का तन व मन।
नवयौवना
फैली है हरियाली
वसुंधरा की छटा निराली
भँवरे- तितलियाँ उड़ते रे आली ।
पीली चुनर
ओढ़े सरसों खड़ी
नैसर्गिक सौंदर्य सबसे अड़ी
दूर क्षितिज तक मोतियों से जड़ी ।
वातावरण में
खुश्बू लबलबाती
जीवन में नव प्राण जगाती
वृक्षों की साँसें घर भर जाती ।
बसंत ऋतु
अद्भुत प्रकृति रूप
अनुपम छटा निहार
सदा यही ऋतु रहे मन करता।