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YOGESH KUMAR SAHU

Abstract Romance

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YOGESH KUMAR SAHU

Abstract Romance

बस यही सहारा है.....

बस यही सहारा है.....

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बस उसकी यादें ही है, जो वजह है जिंदा रहने की

सच कहूं तो बस यही सहारा है, जो मुझे सबसे प्यारा है।

ये हवाएं जब भी छूती है मुझे, तो तेरी आहट महसूस होती है

ये तेरी यादें ही तो है, जो हर पल मेरी साथ होती है।

मायूस हो जाता हूं जब भी मैं, उस वक्त खुद को तन्हा पाता हूं

तू भले माने या न माने,अब भी तेरे आने की आस सजाता हूं।

मुझे नही पता कि किस हाल में हो तुम वहां,

बेहाल हूं मैं,बस यही बात आज भी तेरी तस्वीर को बताता हूं। 

कभी आओगी शहर में तो पता पूछते घर तक आ जाना,

आखिरी मुलाकात की ख्वाहिश अब भी दिल में सजाता हूं।।

                           


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