STORYMIRROR

Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Tragedy Inspirational

4  

Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Tragedy Inspirational

बस एक ही फिक्र

बस एक ही फिक्र

1 min
385


आगे बढ़ता जाये, देश मेरा है महान,

पूरे ही जगत में बनी, अलग पहचान।

बस एक ही फिक्र, बाकी बचा हुआ,

लोग क्यों बनते जा रहे अब अज्ञान।।


युवा पीढ़ी दिग्भ्रमित,बदली है चाल,

हाय हाय करके वो, पूछते हैं हाल।

उनसे बात करके देखो आये भूचाल,

पाप कर्म में डूबे मिलते,यूं बदहाल।।


सिरमौर होता कभी, शिक्षा का देश,

आते थे पढऩे यहां, कहकर विदेश।

बस एक ही फिक्र, कही देश की,

पुरानी स्मृतियां, नहीं रहे ना शेष।।


धक्के खाते फिरते अब बुजुर्ग जन,

दुखी होता देख नजारों को मन।

पाप दोष सरेआम नजर आता है,

कलुषित जिंदगी,कलुषित है जन।।


आतंक सिर उठा रहा,कैसे लोग,

बुराइयां तन से लगाये,कैसा रोग।

बस एक ही फिक्र, आज जग में,

अचानक क्यों हो जाता है वियोग।।


धर्म कर्म यूं लुप्तप्राय, पापी हजार,

आज खो चुका, मां बेटे का प्यार।

भाई बहन के बीच में,नहीं है प्रेम

अधर्म पाप आज जन दे रहे उधार।।


प्रदूषण सिर चढ़ बोले,बुरा है वक्त,

खूब प्रदूषण करो,नहीं नियम सख्त।

बस एक ही फिक्र, सिर चढ़ बोले,

भाई भाई का बहाता, अब यूं रक्त।।


धन के पीछे पड़े लोग,भूले हैं नाते,

श्मशानघाट पर देखो,जा रही बारातें।

बस एक ही फिक्र,अब सता रहा है,

दिन बुरे होते, कातिल बनी हैं रातें।।

*****************



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy