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Pooja Agrawal

Romance

5.0  

Pooja Agrawal

Romance

बरसात की एक शाम

बरसात की एक शाम

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काली घटा घनघोर छाई, मौसम हुआ रूहानी

बूंदों ने सारा आलम भिगो दिया

महकने लगी क्या धरती क्या मेरा अंतरमन

कुछ बादलों ने की गड़गड़ाहट

और मैं सहम गई याद आ गये मुझ को तुम

वह बरसात की शाम इंद्रधनुषीय आकाश और

सतरंगी सपने बुनता हुआ हमारा मन ।

चाय की चुस्कियाँ लेते हम दोनों एक

दूसरे को एकटक निहारते हुए

झरोखे से देखते हुए बच्चों को कागज़ की

कश्ती पानी में चलाते हुए।


फिर तुम्हारे ऊपर कुछ बूंदों को

कैसे आंचल से पोंछा था मैंने

जैसे तुम्हें छूने का बहाना मिल गया था मुझे।

वह भीनी सी मुस्कान तुम्हारे होठों पर

जो मुझे अंदर तक उन्माद से भर गई थी।

और तुम्हारी हँसी मेरे लबों तक पहुंच गई थी ।

जैसे एक बिजली बादलों में से मेरे अंदर कौंध गई थी।

वह तुम्हारा सानिध्य वह तुम्हारा स्पर्श

वह भीगा सा समा

सब कुछ एक सपने से लग रहा था मुझे

वह पल अतुलनीय था अविस्मरणीय था

पर था हमारा अपना।

काश उस दिन जाने से रोक लिया होता मैंने तुम्हें

तुम चले गए हाथ छुड़ा कर मेरा

उस बारिश में अकेले छोड़कर ।


एक नया वादा करके की

अब जिंदगी के सब सावन तुम्हारे साथ होंगे।

तुम्हारी यादों के तसव्वुर में रात निकाल दी मैंने ।

काश वो रात वहीं रुक जाती वह बरसात वहीं रुक जाती

रुक जाते तुम वही मेरे पास वह मंजर वह वहीं रुक जाता।

तो दिल को सामना नहीं करना पड़ता उस खबर का

जिसने जिंदगी बदल दी मेरी।

कि तुम कभी भी मेरे पास ना लौट पाओगे कभी

हमेशा के लिए चले गए तुम इस दुनिया से सनम

और छोड़ गए मुझे उस दहलीज पर

उस व्यथा उस वियोग में जिसका कोई अंत नहीं था।

आज फिर वह बारिश है अश्क रुक नहीं रहे मेरे

उन लम्हों को याद करके

बारिश की बूंदों में मिलकर ढलक रहे हैं ज़मीन पर।


निर्जीव सी खड़ी मैं अचानक एक साया सा मेरे

पास आ खड़ा हुआ।

देखा तो तुम थे वहीं चिर परिचित मुस्कुराहट के साथ

आँसुओं का वेग रुक गया मेरा और तुम हाथ पकड़

कर मेरा ले आए उस खिड़की पर

जहां तुम्हारे साथ कई बारिशें देखी थी मैंने।

"खुद को कभी अकेला मत समझना

मैं तुम्हारे आसपास हूं एक एहसास की तरह

हर सांस में महसूस करोगी तुम ।

जीवन में अभी कितने सावन आएंगे तुम्हारे।

तूफानों में जिंदगी की कश्ती डगमगाऐगी

पर तुम निडर होकर मझधार में से निकलना ।

एक दिन तुम अपनी मंज़िल से रूबरू हो जाओगी।"

कितने प्यार से कह गए तुम और

ओझल हो गए कुछ ही पल में।

बरसात तब भी थी बरसात आज भी है ।

पर अपने अंदर का तूफान रोक लिया है मैंने।

तुमने जो राह दिखाई उस राह पर चलूंगी मैं।

जिंदगी जीनी है मुझको मंजिलों तक पहुंचना है।

अपने जीवन को सार्थक करना है।


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