STORYMIRROR

manish shukla

Drama

3  

manish shukla

Drama

बरगद की छांव

बरगद की छांव

1 min
375

तेज धूप में,

जब चलते- चलते,

थक जाते हैं,

सूखा गला,

पसीने की बूंदों,

में पानी की झलक,

दिलाते हैं

तब याद आती है,


बरगद की छांव,

जिसके आँचल में था,

ममता और सुकून का,

अहसास

बड़े बुजुर्ग भी,

बरगद की यही छांव हैं,

जो बचाते हैं,


धूप और बारिश,

सर्दी की बर्फबारी से,

जीवन के रास्ते,

ये हमें दिखाते हैं,

हर मोड़ पर,


दुर्घटनाओं से हमें बचाते हैं,

जब हम थक जाते हैं,

अपनी छांव में,

सुकून का अहसास कराते हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama