बोन्साई
बोन्साई
जितने
पुराने होते जाते हैं
उतने ही कीमती होते हैं
पेड़ों की तरह
कहीं भी नहीं उग आते
कहीं भी
नहीं पनप जाते।
बहुत
रोकना पड़ता है
उनके विस्तार को
संभालते हुए
उनका जीवन।
जैसे
रोका है तुमने,
संभाला है मैंने
हमारे स्नेह के पेड़ को
एक दूसरे में
फैलने से
पनपने से।
उगा लिए है जुड़वा
बोन्साई
अपने अपने मन में।

