बंदी छोड़ दिवस
बंदी छोड़ दिवस
बंदी छोड़ दिवस पवित्र श्रद्धा और सौहार्द एवम् सिखों का त्यौहार है।
यह सिख धर्म के लिए धार्मिक अलौकिक और
प्रसन्नता का उपहार है
सिख समुदाय का यह ऐतिहासिक और प्रसिद्ध त्यौहार है।
सिख धार्मिक नेताओं ने इसे धार्मिक बंदी छोड़ दिवस के रूप में माना था
गुरु अमरदास जी ने इसे सिख उत्सव के रूप में यह पर्व को भी माना था
यह पर्व अपना एक अनोखा इतिहास जो रखता है
यह त्यौहार शिरोमणि गुरु हर गोविंद सिंह के साथ सीधा संबंध जो रखता है
जहांगीर ने शिरोमणि गुरु हर गोविंद सिंह सहित बावन राजाओं को स्वतंत्र किया
इसी कथन ने समाज को प्रसन्न और जश्न मनाने का अवसर दिया
बंदी छोड़ दिवस अनुपम नामांकरण सीखो ने इसे है दिया
दीवाली के समान ही बंदी छोड़ दिवस को भी सीख लोग मानते है
सुख और समृद्धि के साथ गुरुद्वारा और घरों को रोशन भी कर जाते है।
लोग एक दूसरे के साथ प्रेम से उपहार बांट परिवार के साथ खुशियां मनाते है
गुरु हर गोविंद साहिब जी को ग्वालियर जेल से रिहा किया गया
नगर में अखंड कीर्तन जुलूस भी जश्न के रूप में किया गया
सिख इसे श्रद्धा पूर्वक मानते है
घर में उपहार बाटकर परिवार के साथ समय बिताते है।
हर दीवाली के साथ बंदी दिवस को भी श्रद्धा पूर्वक मनाते है।
हर सिख के दिल में श्रद्धा पूर्वक गुरु हर गोविंद सिंह हमेशा के लिए बस जाते है