बंदगी
बंदगी


करनी है ख़ुदा से
बस एक गुज़ारिश
तेरी यारी के सिवा
कोई बंदगी ना करनी
चाहे कितने भी क्यों ना
सितम ढा ले मुक़द्दर
तेरी चाहत के सिवा
ये जिंदगी ना अब जीनी
ख़ुदा खुद आकर कहें
मोहब्बत की इबादत छोड़ दे
तब भी इनकार ही करेंगे
चाहे इस दुनिया को छोड़ दें
इस तड़पते हुए दिल को
अब तो जितना ही तू तड़पा ले
सच कहते हैं हम तेरी कसम
चाहे कितना ही इम्तिहान लें ले।