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Dr Lalit Upadhyaya

Tragedy

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Dr Lalit Upadhyaya

Tragedy

बंद कमरे में बिखरे पन्ने

बंद कमरे में बिखरे पन्ने

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बंद कमरे में बिखरे पन्ने यह याद दिलाते है,

इसी जगह मरीज़ इलाज कराते थे,

जर्जर पड़े है भवन, करो कोई जतन,

दूर बहुत है अब दवाखाना,

इतनी दूर मरीज़ सब जाते है,

बंद कमरे में बिखरे पन्ने यह याद दिलाते है।।


हर किसी के पास गए, वादे भी बहुत हुए,

अगली बार आएँगे ,दवाखाना यहीं लाएंगे,

वोट लेकर वो फिर चुन लिए जाएंगे,

आखिर दवाखाना कब वहाँ खुलवाएंगे,

हर बार वो झूठ यूं ही बोल जाते है,

बंद कमरे में बिखरे पन्ने यह याद दिलाते है।।


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