बिन -गुरु।
बिन -गुरु।


बिन गुरु मुश्किल है, राम- नाम का पाना।
अगर चाहते इनके दर्शन, सद्गुरु के दर ही जाना।।
इधर -उधर भव- जाल में पड़कर, जटिल है उनको पाना।।
आत्म दृष्टि गुरु ही देते, जिसने भेद यह जाना ।।
राम मिलावन हार वही है, झूठा सकल जमाना।।
नर रूप में नारायण तुम हो, वेद पुराण बखाना।।
बिन गुरू भव निधि तरहिं न कोई, मुश्किल है मोक्ष पाना।।
" नीरज "का तो यही है कहना, गुरु में ही राम समाना।।