STORYMIRROR

Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

3  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

भूलना

भूलना

1 min
360

मैं तुमको कभी भूला न सकूंगा

पर कोशिश मैं हर रोज करूँगा

दिल से धड़कन को हटा न सकूंगा

जान हो तुम मेरी 

मैं ये बात जानता हूं,

जानकर भी अपना कत्ल रोज करूँगा

मैं तुम्हारी याद में पल पल रोज मरूंगा

मैं तुमको कभी भूला न सकूंगा


वादा किया है तुझसे वो पूरा करूँगा

हर रोज ही तेरे ख्वाबो से मैं डरूंगा

फ़िर भी हर ख़्वाब तेरा ही देखकर,

हर रोज़ ही मैं दरिया को भरूँगा

मिलन नहीं, जुदाई है अपनी किस्मत में,

मैं जुदाई से भी बेइंतहा प्यार करूँगा

मैं तुमको कभी साखी भूला न सकूंगा


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy