भूख...!!!
भूख...!!!
जब पेट की आग जलती है,
तो एक मुफलिस
अपना दिल जलाता है...!
यहाँ आसमां को छूती हुई
कई आलिशान मकान बनाए गए हैं,
मगर उनमें दरियादिल लोग
नामालूम क्यों नहीं मिलते...।
वक्त के मारे किसी भी
भूखे-लाचार को
एक वक्त का खाना
परोसने को भी
अक्सर कोई मिलता नहीं...
ऐसा लगता है कि
इस जहाँ में कई रईस
बस नुमाइश के लिए ही
अपना रुतबा
दिखाया करते हैं...!!
...और अक्सर कोई-न-कोई भूखा
बेइंतहां आसमां छूती
ईमारतों की तरफ
टकटकी लगाए
बैठा रहता है...
मगर रहम भी
आता नहीं
उन ऊँची ईमारतों में
रहनेवाले --
अपनी रईसी के नशे में धुत
उन बेदर्द-बेरहम लोगों को...
ऐसे दिखावे की
दकियानूसी ज़िंदगी का
क्या मोल, जो किसी
भूखे इंसान का पेट भी
भर न सके...?