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बहुत है

बहुत है

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मिलना जमाने से,

अपना बहुत है,

हम फिर भी देखो,

तन्हा बहुत हैं।


रही चाह कितनी,

खुशी के लिये पर,

जुदाई में दिल का,

जलना बहुत है।


बहुत खाक छानी,

जमाने की हमने,

अभी और आगे भी,

चलना बहुत है।


मोहब्बत की करते रहे,

आरजू हम,

यहाँ जीने वालों का,

मरना बहुत है।


सदा हमने मासूम,

आलम ये देखा,

हर इक गाम देखा,

बँटना बहुत है।


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