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Chandragat bharti

Romance Tragedy

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Chandragat bharti

Romance Tragedy

बहुत बेचैन होता हूँ

बहुत बेचैन होता हूँ

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तुम्हारे रूठ जाने से

बहुत बेचैन होता हूँ 

कसम से क्या कहूं तुमसे

न जगता हूँ न सोता हूँ।


हमारी आरजू क्या है

अगर पहचान लेती तुम 

तुम्ही से जिन्दगी मेरी

प्रिये यह जान लेती तुम

यहाँ मैं आँसुओं को बस

नयन में ही सँजोता हूँ।


निवेदन है ह्रदय का ये

हमारी साज बन जाओ

सफर मे तुम हमारे अब

प्रिये हमराज बन जाओ

सँभल जाऊँ यहाँ मै भी

न हँसता हूँ न रोता हूँ।


दवाएँ दर्द की सारी

लिए मगरूर बैठी हो

इधर मै चूर हूँ गम से

उधर तुम दूर बैठी हो

दिवाना मैं बना फिरता

गमों को रोज ढोता हूँ।


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