भ्रूण हत्या
भ्रूण हत्या
ना आकार मिला ही था अब तक
ना प्यार मिला मुझे माँ तुझसे
ऐसी भी क्या मज़बूरी थी
जो मार दिया तूने खुद से
सोचा तो होगा शायद
मुझे कोख में रखने से पहले
या हो सकता है लड़की थी
सो हार गयी माँ मैं तुझसे
लिंगपात से पता किया ना
तब भी हाँ तकलीफ़ हुई थी
गर्भपात में तो मानो
अंदर ही दर्द से चीख हुई थी
तू शायद खुद भी औरत थी
किस बात ने ये करवाया तुझसे
एसी भी क्या मज़बूरी थी
जो मार दिया तूने खुद से
क्या पता मैं भी बनती
कोई वीरता का शायद नाम
या शायद कुल की दीपक बन
रौशन करती तुम सबका नाम
इस वीरता को कोख में ही
झकझोर दिया माँ तुमने
नर्क से जन्नत की ओर
रुख मोड़ दिया माँ तुमने
लेकिन माँ कोई बात नहीं
इस बार खुदा से होगी बात
लड़की होकर हर हाल में ही
धरती पर बदलूंगी हालात
हालात ने ये करवाया सब
या तेरी थी खुशिया खुदसे
ऐसी भी क्या मज़बूरी थी
जो मार दिया तूने खुद से
