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Manthan Rastogi

Inspirational

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Manthan Rastogi

Inspirational

हार - जीत

हार - जीत

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मुकम्मल सा सफ़र ज़िन्दगी 

और हर सार यहीं पर है 

पैंतरे बेशक हो जो भी

जीत भी, हर हार, यहीं पर है


शायद किये होंगे कई 

आराम तुमने शाम में 

या किये होंगे गलत

और व्यर्थ पल अंजाम में 

यू तो ये खिलवाड़ खुद से

खुद पे ही एक घात है

मुश्किलों से डरना पीछे

हटना भी आघात है


हालात तो आसान हैं 

बस कर्म सब आधार यहीं पर हैं 

मुकम्मल सा सफ़र ज़िन्दगी 

जीत भी, हर हार, यहीं पर है


अब करो मन का विलय

दिमाग में, खुद को समय दो

हौसलों से हर कदम लो

मत डरो, अब को प्रणय दो

मत करो दख़ल सफ़र में 

मशगूल से अब हो चलो

ये रास्ते हैं ना खिलौने

वसूल खुद को हो चलो


फ़िज़ूल जो भी हैं यहां 

मौजूद सब औज़ार यहीं पर हैं 

मुकम्मल सा सफ़र ज़िन्दगी 

जीत भी, हर हार, यहीं पर है


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