कब तक
कब तक
कब तक चलेगी जांच ये
कब तक जलेगी आँच ये
ये उंगलिया थकेंगी पर
कब तक उठेंगी आज ये
गुज़र गए मौसम सभी
जनम सभी सदिया सभी
बदलेगे मुनसिफ़े ये पर
कब तक चलेगा राज ये
पैदा ही होते साथ में
उस जानकी को ताने बाने
बड़ी हुई समाज की तो
आंख लग पड़ी थी खाने
कपड़े ये कैसे पहने हैं
श्रृंगार क्यों हैं कर लिया
शादी नहीं हुई तो क्यों
ये नौकरी को सर किया
मंदिरों में काम क्या है
अशुद्ध हो अभी तो तुम
खुदा ने खुद बताया ये
या ओछी सभ्यता हो तुम
सभ्य की तो बात यू हैं
हर कदम परीक्षा है
ज़रूरी बेटियो से ज़्यादा
बेटो को ये शिक्षा है
कदम कदम पे जांच ये
बढती ना थमती आँच ये
ये उंगलिया थकेगी पर
कब तक उठेगी आज ये
आवाज़ तो निकल रही
हाँ तेज़ है नहीं अभी
जल्दी फ़टेगा बुलबुला
कब तक गिरेगी गाज ये
कब तक ?