उड़ान भर
उड़ान भर
तू यार कर
कुछ आज कर
तकलीफ़ पर भी कभी
इक रोज़ वार कर
जी रहा है मौत पर
ज़ोर से प्रहार कर
रोक दे बहाव को
आन्सू के प्रभाव को
अंधेरे में भर दिये
रौशनी का बचाव कर
तू वार कर
मशाले हज़ार कर
तू शिल्प पे प्रहार कर
मूरती आकार कर
खुद ही से तू लगाव कर
तू मन में ही चुनाव कर
चिंगारी आग कर
तू आग से अलाव कर
कुछ दिन भले तू हार कर
तू जीत से आगाज़ कर
तू आज कर
कुछ काम कर
लोक लाज से परे
दुनिया को अपने नाम कर
उठ सुबह से शाम कर
मायूसी को विराम कर
खुशियो का इन्तज़ाम कर
ग़मो को तू नीलाम कर
इक अलग मकाम पर
नाकामी को नाकाम कर
तू ऊडान भर
और एलान कर
मेहनत को अब अभियान कर
तू जीत को आसान कर
खुद ही पे तू गुमान कर
क्रियाओं पर तू ध्यान दे
ना अंजाम पर रूझान कर
कदम कदम मिला के फ़िर
तू चल नई शुरुआत कर
अपने बनाम युद्ध से
तू कमियो पे आघात कर
तू आज कर, तू उड़ान भर
तू काम कर, तू उड़ान भर
