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Manthan Rastogi

Others

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Manthan Rastogi

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मनोदशा

मनोदशा

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लोगों के दूर जाने के बाद

सपने चूर हो जाने के बाद 

आत्मिक गुरूर खो जाने के बाद

क्यों करते हो श्राद्ध


अग्नि में समावेश या

चुके जल द्रव्यशेष

अखिलेश हो जाने के बाद

क्यों करते हो श्राद्ध


सब मोह था अब सो गया

चंदा धरा पर खो गया

पाताल अंबर में गया

दिल टुकड़ा टुकड़ा रो गया


पहले क्यों ना भोग किया

निह्शेष नहीं कोई जोग किया

अब रोग हो जाने के बाद

क्यों करते हो श्राद्ध


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