भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचारी युग में जीना हुआ है मुश्किल ,
सत्ताधारी रोज गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं ,
लूट -खसोट बुरे कर्मों के नक़्शे क़दमों पर चलते हैं I
दो टूक बात कह दो तो ,गीदड़ भभकी देते हैं ,
मेहनत से जो लोग खून –पसीना एक करते,
ये भ्रष्टाचारी उनको लूटने से भी नहीं डरते हैं I
जब देखो इनको निन्यानवे के फेर में रहते हैं ,
मज़बूरी में हम खून का घूट पी कर सब सहते हैं ,
समाज की बड़ी बुराई बचके रहना हम कहते हैं I
दुनिया के सामने करते बहुत करते दिखावा हैं
इनको देखो रिश्वत लेने से तनिक भी नहीं घबराते हैं ,
अपना व्यापार बढ़ाने की खातिर अक्ल के घोड़े लगाते हैं I
जिस थाली में खाते हैं उसी में क्यों छेद करते हैं ,
देश में फैली इस बीमारी से गरीब लोग ही मरते हैं ,
गरीबों के पेट पर लात मार ये अपना पेट भरते हैं I
इस रास्ते पर चार दिन की चांदनी फिर अँधेरी रात है ,
कहते भेड़ की खाल में भेड़िया रूप बनाना इनको आता है ,
इस रास्ते पर कोई भी सम्मान का जीवन जी नहीं पाता है I