भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार
हाय ! क्या हो गया मेरे देश का हाल,
उठ रहे हैं जनता के लाखों सवाल।
क्यों लोग करते हैं रिश्वत की मांग,
बिना कुछ दिए नहीं होता कोई काम।
अपनी पेंशन को पाने के लिए ही,
करना पड़ता है वृद्धों को कुछ खर्च।
बहुत ज्यादा ही फैलता जा रहा है,
यह भ्रष्टाचार रूपी लाइलाज मर्ज।
चिता पे भी रोटी सेक जाते हैं भ्रष्टाचारी,
बढ़ती ही जा रही है यह खौफनाक बीमारी।
क्यों अनदेखी हो रही है गरीब की लाचारी,
हाय! कितने निर्दयी है यह व्यभिचारी।
सारे लोग मिलकर यह बीड़ा अब उठा लो,
इस भ्रष्टाचार को अपने देश से निकालो।
सब अपनी आवाज बुलंद कर डालो,
सत्य के साथ देश की बागडोर संभालो।