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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

भ्रमर

भ्रमर

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कली खिलने से पहले ही, भ्रमर गुंजार करते हैं ।

उनींदी सी ही पलकों का, सभी गुणगान करते हैं ।


लगें जब खिलखिलाने भोर, की किरणों के आने पर,

अली दल मस्त होकर के, मधुर रसपान करते हैं ॥ 1 ॥


कुमुदनी ताकती राहें, भ्रमर के पास आने का ।

भ्रमर बैठे लगाए आस, उनके मुस्कुराने का।


बड़ा उपकार दोनों पर, सुनहली धूप का देखो,

जो आकर काम करती है, उन्हें खुलकर मिलाने का॥ 2 ॥


कुमुदनी प्रेम की मूरत, मधुर मुस्कान भरती है ।

हुई मुकुलित जरा सी तो, वो चंचल चित्त हरती है ।


भ्रमर मदमस्त हो मकरन्द, का रसपान करते पर,

कुमुदनी सौम्यता से हर, दिलों पर राज करती है ॥ 3 ।।



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