STORYMIRROR

कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा "दीपक"

Abstract Tragedy Fantasy

3  

कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा "दीपक"

Abstract Tragedy Fantasy

भोले-Lockdown खोलें

भोले-Lockdown खोलें

1 min
188

भले ही लॉकडाउन का, दौर चल रहा है।

पर भोले तेरे लिए ही, ये दिल धड़क रहा है।।

तू ही मेरी इस पावन धरती की

आन है, मान है, शान है।

सच तो यही है भोला, तू बन बैठा,

सबके दिल का मेहमान है।।

तेरी ही दया दृष्टि से,

चमकी है "छोटी काशी"।

कर दो अमृत की वर्षा,

ये धरती है प्यासी।।

तेरी ही महिमा से, इस चराचर जगत में,

है "छोटी काशी" का बोलबाला।

उबारो प्रभु इस कहर से सभी को,

ना कोई सोए भूखे पेट, बिन निवाला।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract