STORYMIRROR

कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा "दीपक"

Abstract Romance

2  

कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा "दीपक"

Abstract Romance

सताती है जब भी

सताती है जब भी

1 min
124

सताती है जब भी तू हद से ज्यादा मुझे,

अब तुझे तो नहीं पर, तेरी यादों को पनाह देता हूँ।

और तेरे चेहरे को बादल कुछ इस तरह बनाने के लिए,

एक तीली को फास्फोरस पर लगाकर, सिगरेट जला लेता हूँ।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract