भीड़, ऋतु सिंह
भीड़, ऋतु सिंह
भीड़
बाहर देखोगे तो सिर्फ़ भीड़
दिखेगी,भीतर देखोगे तो ईश्वर
दिखेगा, लाखों लोग तुम्हें राह
दिखाने का दावा करेंगे,
लेकिन असली राह तुम्हारे
भीतर की आवाज़ ही बताएगी
आंखें खुली रखकर दुनिया को
मत नापो,आंखें बंद करो और
अपनी आत्मा से पूछो
कौन हो तुम, तुम्हें कहाँ जाना है
यह निर्णय भी आपको करना है
भीड़ नहीं तय करेगी स्वयं को
निर्णय लेना है यही है असली
विद्रोह दूसरों के कहने पर नहीं,
बल्कि अपनी आत्मा की पुकार
पर चलना है युग परिवर्तन
आत्मज्ञान सत्य की आवाज़
भीड़ से नहीं अध्यात्म से चलना
होगा, अपने अंदर देखना है
भीड़ से परे खुद को स्थापित
करना है
ऋतु सिंह
कानपुर
