एक ही आंखों में रह पाओगे क्या
एक ही आंखों में रह पाओगे क्या
मेरी आंखों को दरिया कहते हो
मेरी भंहो को किनारा कहते हो
क्या एक ही किनारे एक ही
दरिया में अपना जीवन बिता
पाओगे, हमें अपना जान कहते
हो, क्या इस जान के लिए अपना
यह जीवन समर्पण कर पाओगे
प्यार करता हूं, का माला जपते
हो दिन रात ऐसे ही एक उम्र
निकल पाओगे क्या, अगर मेरा
साथ हो तो क्या अपने साथ मेरा
भी सपना पूरा कर पाओगे,
आसान नहीं है एक दूसरे का हो
जाना, शायरी और कविता के
लिए आंखों को दरिया कहना
आसान है, एक ही आंखों में बस
के रह पाना मुश्किल है, मेरी
आंखों में ज्योति बनके मेरी बांहों
में आजीवन सुरक्षित रह पाओगे
क्या, हमें इस बात के लिए
आश्वस्त कर पाओगे क्या
बड़ी-बड़ी बातें करते हो
कि एक का बनके रह पाओगे,
अगर हां हो तो ही आगे बढ़ना
वरना पीछे मुड़कर कभी ना
आना, कहानी और कविता से
अलग होती है जीवन और जीवन
की धारा, इस धारा से दोनों को
एक साथ बहाना पड़ता है, मेरी
आंखों को दरिया कहते हो, इस
दरिया की परवाह में गति से गति
मिला पाओगे क्या, हमारी हर
मांग को पूरी कर पाओगे क्या,
जो करते हो चांद तारों की बातें
उन्हें पूरा कर पाओगे क्या, हमारे
परिवार के साथ अपने परिवार
का मन बना पाओगे क्या, अगर
हां है तो ही आना, वरना पीछे
मुड़कर दोबारा मत आना, मुझे
अगर सच में तुम अपना बनाना
चाहते हो तो मेरे साथ अपने साथ
दोनों के सपने पूरा कर पाओगे
क्या, मेरी एक ही आंखों में
अपना जीवन बिता पाओगी क्या,
