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Dravin Kumar CHAUHAN

Classics Fantasy Others

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Dravin Kumar CHAUHAN

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रास्ते मिलेंगे ऋतु सिंह

रास्ते मिलेंगे ऋतु सिंह

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रास्ते मिलेंगे 



ढूँढोगे तो ही रास्ते मिलेंगे,
मंजिलों की फितरत है
खुद चलकर नहीं आती
साज़िश-ए-शहर में
मुजरिम के सिवा कोई नहीं,
आजकल वही ख़तरे में है
जिसका गुनाह कोई नहीं,
दूसरो को बदलने की कोशिश 
से बेहतर है खुद को बदलो
निर्णय बदलने से बेहतर है 
रास्तों की तलाश में निकले 
रास्ते खुद ब खुद मिलेंगे 
दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने 
से बेहतर है खुद को बदला जाए 
अपने मंजिल की तलाश में 
नई सफर की शुरुआत की जाए
खुद को ढूंढना होगा खुद में 
खुद को तलाशना होगा 
रास्ते जरूर मिलेंगे मंजिल 
की फितरत ही है खुद चलकर 
नहीं आती इसे तलाश 
करना ही पड़ता है

ऋतु सिंह 
कानपुर


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