भारतवासियों का भारत
भारतवासियों का भारत
हम सब भिन्न-भिन्न धर्मों से हैं
पर एक देश के वासी हैं
गंगा हमारे पैर पखारती
हिमालय करता चौकसी है ,
तरह-तरह की भाषा है
उतने ही परिधान हैं
उपर से हम भले अलग हों
भीतर एक समान हैं ,
मिल जुलकर हम रहते हैं
रिश्तों में बंधे हुए हैं
कोई अलग नही कर सकता
सब इतने सधे हुए हैं ,
कितनी भी विपदा आ जाए
विचलित नही कभी हुए हैं
थोड़ा कम-ज़्यादा सहकर
हमेशा साथ सभी हुए हैं ,
ये देश हमारा भारत है
जो संस्कृति की पहचान है
ये हमारी मातृभूमि
हम इसकी संतान हैं ,
इसके मस्तक को ऊंचा रखकर
करते हम अभिमान हैं
हर कीमत पर रक्षा करते
होते हम कुर्बान हैं ,
हमारी माॅं का आंचल सदैव
गर्व से लहराता है
हमारा प्यारा तिरंगा माॅं से
लिपट-लिपट जाता है ।